मां की रोटी
मां की रोटी मोटी थी उसमें प्यार मिलाया होता था
आर डी छक कर उठ जाता था बस “एक” खिलाया होता था
अब पतली खा कर सोते हैं छः खाकर भी कुछ खोते हैं
अब “फर्ज” सुनाएं जाते है तब “अधिकार” मिलाया होता था।
मां की रोटी मोटी थी उसमें प्यार मिलाया होता था
आर डी छक कर उठ जाता था बस “एक” खिलाया होता था
अब पतली खा कर सोते हैं छः खाकर भी कुछ खोते हैं
अब “फर्ज” सुनाएं जाते है तब “अधिकार” मिलाया होता था।