मां की याद आयी होगी
सब कुछ कभी कभी बहुत पराया सा लगता है।
माँ का होना बस एक सिर पे छाया सा लगता है।
उदास बैठा था वो शख़्स और अचानक मुस्कुरा उठा,
शायद माँ की याद आयी होगी जो मुस्कुराया सा लगता है।
माँ होती है हर पल बेहतर एहसास लिए।
बचपन में दुलार और ढेरों किस्से पास लिए।
चेहरा खिल उठता जो आज मुरझाया सा लगता है।
शायद माँ की याद आयी होगी जो मुस्कुराया सा लगता है।
माँ का त्याग, प्रेम और ममता है अटल इरादों की तरह।
हमे खयाल रहे मां को न भूलें नेताओं के वादों की तरह।
मां का आशीष हमारे पीछे साया सा लगता है।
शायद माँ की याद आयी होगी जो मुस्कुराया सा लगता है।
-सिद्धार्थ पाण्डेय