मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
मां के हंसने को भी बेकार समझते हैं वो ।।
नौ माह जिसने सीकम में रखा था उसे ,
मां का होना भी अपराध समझते हैं वो ।।
Phool gufran
मां की ममता को भी अखबार समझते हैं वो,
मां के हंसने को भी बेकार समझते हैं वो ।।
नौ माह जिसने सीकम में रखा था उसे ,
मां का होना भी अपराध समझते हैं वो ।।
Phool gufran