Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 1 min read

मां की चाहत

मां तेरा क्या कसूर
बेटा तुझे पहचान न सका
बुढ़ापे में तुझे अपना न सका
देख लेना होगा वैसा उसके साथ जरूर,

यही विडंबना है इस जग की,
जो सींचे इस पौधे को
उसे फलालाभ नही होता है,
मां करती थी जिसके लिए
रात दिन एक,
वही चैन से अब सोता है,

क्या किया नही तूने
तनुज के लिए
भूखी छठ आतवार,
कोई कसर छोड़ा नहीं
मानी न कभी हार,

बड़ा अचरज होता है
ममता का मोल कैसे चुकाएगा,
हमने सोचा था
बेटा का फर्ज निभाएगा,

मां इसमें तेरा नही है दोष
समय कर देता है सबको मद होश,
जो हाथ पकड़ चलना
सिखाए,
आज हाथ जोड़ वही गिरगिड़ाए
होता दुख बहुत
जब सपना हो जाए चकना चूर

मां तेरा क्या ….

1 Like · 114 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from साहिल
View all
You may also like:
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
Ram Krishan Rastogi
चौथ का चांद
चौथ का चांद
Dr. Seema Varma
भजन - माॅं नर्मदा का
भजन - माॅं नर्मदा का
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
मुझे वो एक शख्स चाहिये ओर उसके अलावा मुझे ओर किसी का होना भी
मुझे वो एक शख्स चाहिये ओर उसके अलावा मुझे ओर किसी का होना भी
yuvraj gautam
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
हनुमानजी
हनुमानजी
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
संवेदना मर रही
संवेदना मर रही
Ritu Asooja
"तकरार"
Dr. Kishan tandon kranti
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
संतुलित रहें सदा जज्बात
संतुलित रहें सदा जज्बात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
फारवर्डेड लव मैसेज
फारवर्डेड लव मैसेज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वीर हनुमान
वीर हनुमान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Harsh Malviya
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोस्त और दोस्ती
दोस्त और दोस्ती
Neeraj Agarwal
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
sushil sarna
आइये तर्क पर विचार करते है
आइये तर्क पर विचार करते है
शेखर सिंह
*गर्मी के मौसम में निकली, बैरी लगती धूप (गीत)*
*गर्मी के मौसम में निकली, बैरी लगती धूप (गीत)*
Ravi Prakash
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
*कर्मफल सिद्धांत*
*कर्मफल सिद्धांत*
Shashi kala vyas
गाँव पर ग़ज़ल
गाँव पर ग़ज़ल
नाथ सोनांचली
सीखने की, ललक है, अगर आपमें,
सीखने की, ललक है, अगर आपमें,
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
मेरी हस्ती
मेरी हस्ती
Shyam Sundar Subramanian
2287.
2287.
Dr.Khedu Bharti
चुनाव में मीडिया की भूमिका: राकेश देवडे़ बिरसावादी
चुनाव में मीडिया की भूमिका: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
नव संवत्सर
नव संवत्सर
Manu Vashistha
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
परेशानियों का सामना
परेशानियों का सामना
Paras Nath Jha
वर्तमान में जो जिये,
वर्तमान में जो जिये,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दोहे - झटपट
दोहे - झटपट
Mahender Singh
Loading...