मां की कलम से!!!
मां की कलम से!!!
उम्मीदों का हौंसला वहां बनाएं रखना
जहां ना हो किसी की भी खता,
और ,,है,अहसास की बात.!!
तो उसकी मिल रही है हमें सजा।
मत छुपाना राज दिल में
हां,और कोई हो बात है,तो बता,
समाधान होती है हर समस्या
फिर,,”यूं ही” बढ़ा रखी है निज व्यथा।
बीत रहे हैं उम्र के सोपान पर पल-पल
पर,तु है अभी भी नादान बच्चा।
मां के दिल समाई सदा स्नेह रूपी ममता
पर , जान न पाई क्या है तेरी कथा??
बात बड़ी-बड़ी बनाने से क्या??
खुशियां अधिक और पाने निकाल राह।
कि तेरे दिल न निकले अब आह,
बेवजह कोई खुद को जबरन कोस रहा।।।।।
-सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान