माँ
उगती जहाँ दुआयें माँ वो गाँव हुआ करती है
माँ के आँचल में ममता की छाँव हुआ करती है
चारो धाम दिखे मुझको तो बस माँ की सूरत में
मेरी तो जन्नत ही माँ के पाँव हुआ करती है
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
उगती जहाँ दुआयें माँ वो गाँव हुआ करती है
माँ के आँचल में ममता की छाँव हुआ करती है
चारो धाम दिखे मुझको तो बस माँ की सूरत में
मेरी तो जन्नत ही माँ के पाँव हुआ करती है
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद