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11 Nov 2018 · 1 min read

माँ

1
माता ज्ञान-प्रदायिनी, नमन है बारम्बार।
ज्ञान-दान देकर तुम्ही, करती हो उद्धार।।
करती हो उद्धार, हृदय का तम तुम हरती।
भरती मन में शील, ज्ञान से रौशन करती।
हंसवाहिनी मात, पूजते तुझे विधाता।
पिंगल,पियूष गान, छंद मुझको दो माता।

2

माता सिर पर लादकर ,बीस किलो का भार ।
बाँहों में बच्चा लिए ,उसको रही दुलार।
उसको रही दुलार ,धूप ,सर्दी खुद सहती ।
उर में ममता भाव, प्यार की नदियाँ बहती ।
रोए ‘सुधि’ संतान ,ह्रदय विचलित हो जाता ।
छौड सकल फिर काज, लगाती उर से माता ।

3

माता तपती आग में ,खुद रोटी के साथ ।
जले नहीं रोटी मगर,बेशक जलते हाथ ।
बेशक जलते हाथ ,काम तन मन से करती ।
देकर ममता छाँव ,हमारे सब दुख हरती ।
भरे पीर से नैन ,नीर यदि इनमें आता ।
पी जाती चुपचाप ,सदा बस हँसती माता ।

तारकेश्वरी तरु’सुधि’

1 Like · 5 Comments · 322 Views
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