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5 Aug 2022 · 1 min read

खूब परोसे प्यार, खिलाये रोटी माँ ही

माँ ही सारे पर्व है, माँ ही है गुरु पूर्ण
खूब खिला ममता तले, जीवन ये सम्पूर्ण

जीवन ये सम्पूर्ण, सदैव निकट है बच्चा
दुनिया में है पाक, मधुर पावन ये रिश्ता

महावीर कविराय, पिए थे घी-दूध-दही
खूब परोसे प्यार, खिलाये रोटी माँ ही

•••

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