माँ शारदे…
नव चेतना मन में भरो, जड़ता हरो माँ शारदे।
ऋत ज्ञान की वर्षा करो, अज्ञता हरो माँ शारदे।
भरमा रही मन मृगतृषा, जग घोर छल केवल मृषा,
कालुष्य हर मालिन्य-मन, निर्मल करो माँ शारदे।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
नव चेतना मन में भरो, जड़ता हरो माँ शारदे।
ऋत ज्ञान की वर्षा करो, अज्ञता हरो माँ शारदे।
भरमा रही मन मृगतृषा, जग घोर छल केवल मृषा,
कालुष्य हर मालिन्य-मन, निर्मल करो माँ शारदे।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद