माँ शारदे
हे जगतारिणी! वीणाधारिणी!
जगजननी माँ शारदे!
तू जग को तार दे!
ये जग अंधेरे से घिरा है!
आदमी पद से कितना गिरा है!
सबको ज्ञान का सार दे!
माँ शारदे!
तू जग को तार दे!
पग पग पर है यहां घोटाला,
जनता सरकारों का निवाला!
रावण का मन मार दे!
मां शारदे!
तू जग को तार दे!
ईर्ष्या क्रोध असूया मद हैं
जन-जन के अब छोटे कद हैं!
मन दर्पण को निखार दे! मां शारदे!
तू जग को तार दे!
सब की जीभ विराजे जननी!
नीर क्षीर पहचाने जननी!
सद्बुद्धि भंडार दे!
माँ शारदे!
तू जग को तार दे!