माँ मुक्तक
मैं जब रोया हूँ तब उसने मधुर लोरी सुनाई है
हमारे मुस्कराने पर वो भी मुस्कराई है
कभी बीमार हो जाऊँ तड़पकर मां यही कहती
हमारे लाल को जाने नजर किसने लगाई है
-अभिनव मिश्र अदम्य
मैं जब रोया हूँ तब उसने मधुर लोरी सुनाई है
हमारे मुस्कराने पर वो भी मुस्कराई है
कभी बीमार हो जाऊँ तड़पकर मां यही कहती
हमारे लाल को जाने नजर किसने लगाई है
-अभिनव मिश्र अदम्य