माँ द्वारा लगाया पेड़
65 वर्ष का रामदीन, गर्मी के मौसम में थककर छाया देखकर खेत किनारे पेड़ के नीचे लेट जाता है । सोते सोते अपने बचपन मे चला जाता है, जब उसकी माँ खेत पर मिट्टी में आम के बीज को लगा रही थी, तब छोटा सा रामदीन माँ से पूछता है, की माँ माँ इसके फल कब लगेंगे । माँ बड़े प्यार से अपने बेटे के सर पर हाथ रखकर सहलाती है, और कहती है बेटा जब तुम बड़े हो जाओगे तब तुम इसके फल खाओगे, इसकी छाया में आराम करोगे । अभी तुम मेरी गोदी में सर रखकर सोते हो, जब मैं नही रहूंगी तब ये पेड़ तुम्हे अपनी गोदी में सुलएगा ।
सोते सोते रामदीन की आंखों में आँसू आ जाते है, अपनी माँ की एक एक कही बात उसे आज भी याद है । जब कभी रामदीन परेशान होता है, खेत पर आकर इसी पेड़ से बतयाने लगता है, उसको लगता है जैसे उसकी माँ उसके पास ही है । वैसे रामदीन को किसी चीज की कोई कमी नही है, अभी सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुए 5 वर्ष ही हुए थे, शहर में बड़ा सा मकान है, एक लड़का है जो शहर में ही दुकान चलाता है और एक लड़की है जिसकी शादी बड़ी धूमधाम से एक बड़े शहर में नौकरी पेशा वाले परिवार में की है । किंतु रामदीन को शहर का जीवन घुटन भरा लगता है, इसलिए यही गाँव पर अपने एक छोटे घर पर अकेले रहते है । खेतबाड़ी है, जो बँटाई पर दे रखी है । यहाँ पर माता पिता के नही रहने से कोई नही रहता था, घर पर ताला लगा रहता था, किंतु रामदीन के आने से अब यहाँ रौनक आ गयी थी, दिन भर कोई न कोई पुराने मित्र आ जाते थे, उनके साथ गपशप हो जाया करती है । रामदीन यहाँ खुश था, कभी कभी रिश्तेदारी में भी चले जाते थे, आस पास के गांव में ही रिश्तेदार रहते थे । किंतु अब बहुत कुछ बदल गया था, लोगो मे स्नेह नही बचा था । रामदीन जब गांव में से गुजर कर खेत पर जाते हुए देखता है तो बस ये ही सोचता कि कितना कुछ बदल गया । गाँव मे देशी खपरैल किसी भी घर पर नही है । उसके मित्रो में से भी एक दो ही बचे बाकी सब यहाँ वहाँ चले गए है । खेत पर जाकर उसी आम के पेड़ के नीचे बैठ जाता है, और उसके आम खाकर छाया में बैठकर असीम आनन्द और स्नेह प्राप्त होता है । पेड़ से इतना लगाव की वह आम के पेड़ के लिए अपने शहर के बड़े मकान को जो उसने बड़ी मेहनत से बनाया था, छोड़कर आ गया था । उसे माँ जैसा स्नेह बस पेड़ की ठंडी छाया में ही प्राप्त होता है । खेत के चारो तरफ बहुत से पेड़ उसने लगा दिए थे, गाँव के कुछ लोग कहते कि अब बुढ़ापे में क्यो मेहनत कर रहे हो, तुम थोड़े ही इनके फल खा पाओगे । रामदीन कहता है कि आज हम जिन पेड़ो के फल खा रहे है, वो हमारे पूर्वजो ने लगाए थे, वे भी इस ही सोचते तो आज हम फल कैसे खा पाते । इसीलिए मैं जो पेड़ लगा रहा हूँ कोई न कोई तो इनके फल खायेगा, उस समय में नही रहूंगा किंतु मेरी आत्मा तृप्त हो जाएगी ।।
।।।जेपीएल।।