*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप – शैलपुत्री*
माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप – शैलपुत्री
“शैलपुत्री माँ”
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नव संवत्सर ,
शुभ मुहूर्त मंगल बेला में।
द्वार सजे रंगोली आम्र पल्लव वंदनवार घर आँगन में।
प्रथम स्वरूपा शैलपुत्री माँ आलौकिक छबि लिए ,
शोभित घट कलश स्थापना
शंख ध्वनि मृदंग बाजे मन मंदिर में।
बाँये हाथ कमल पुष्प सुशोभित दांए हाथ त्रिशूल लिए ,
वृषभ पे सवार होकर श्वेत वस्त्र धारण सुख समृद्धि शांतिपूर्ण जीवन में।
जीवन में छाया घना अंधेरा
चेतना जगाती ऊर्जा शक्ति लिए ,
गहरे अद्भुत अनुभव भावनाओं के गहवर में।
ज्ञान की ज्योति जला इस सुने से मन मंदिर में।
पर्वतराज हिमालय की पुत्री
ममतामयी मैना करुणा लिए,
शिव शक्ति का मिलन जगत का कल्याण करने संदेश जगाते अंतर्मन में।
शैलपुत्री की उपासना हर्ष उल्लास लिए ,
शक्ति का स्वरूप व्याधियों को हरती सारा संसार जपे अंतर्मन में।
रिद्धि सिद्धि वंश वृद्धि करने के लिए,
हॄदय में ज्ञान का भंडार भरे चेतना में ध्यान साधना तल्लीन मन में।
धनधान्य परिपूर्ण करते हुए अद्भुत शक्ति लिए ,
आराधना करने से मनोवांछित फल देती आत्मा को शुद्ध मन में।
चैती चांद नव वर्ष अद्भुत शक्ति उमंग लिए ,
बाँसती नवरात्रि पर्व आस्था विश्वास नये साल में।
दुख दारिद्र दूर कर निरोगी काया लिए ,
चैतन्यता जगाई रोग शोक दूर बिगड़े काम संवारती
अंतर्मन में पधारती लाल पाँव कुमकुम भरे कदमों में।
*ॐ शैलपुत्री देव्यै नमः
शशिकला व्यास शिल्पी✍️🙏🚩🌹