माँ को भी माँ की गोद चाहिए
माँ ! इस माँ को भी माँ की गोद चाहिए❤️
माता- पिता की गोद में पली बढ़ी
बड़ी होकर, किसी की जीवन संगिनी बनी
जीवन चक्र की कड़ी कुछ आगे बढ़ी
और मैं भी लड़की से अब एक मां बनी
मां बनते ही महसूस हुआ
मेरा अल्हड़पन अब खत्म हुआ
अब मेरी गोद में अंश मेरा था
जिसका लालन-पालन अब शुरू हुआ
जीवन चक्र की कड़ी कुछ और आगे बढ़ी
और अब” मैं “एक” मां ”
अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ी
अब मेरा अंश मुझ पर निर्भर था
उसकी हिम्मत, भरोसा, जरूरत ,सुकून
इन सब के लिए एकमात्र सुरक्षित जगह थी,
गोद मेरी….
मेरा दामन बड़ा होता गया, और ज़िम्मेदारियां भी
थक कर, एक दिन, मेरे दिल ने
फिर बचपन की ओर मुड़कर देखा
और वही सुकून तलाशना चाहा,
जो था सिर्फ मेरी मां की गोद ….?
छलकती आंखों से सासू मां की गोद में सर रखा
और मुंह से निकला…. मां
इस मां को भी मां की गोद चाहिए….
सुकून चाहिए…
❤️हम कितने भी बड़े हो जाएं, लेकिन सुकून तो सिर्फ मां की गोद में ही मिलता है। स्त्री हो या पुरुष माता पिता की गोद,उनका कंधा हर इंसान के लिए सबसे महफूज़ और सुकून वाला स्थान होता है , जहां सर रखते ही हम फिर से बच्चे बन जाते हैं, और हमें फिर यही अहसास होता है कि,हम भी किसी के संरक्षण में हैं।❤️
दीपाली कालरा