माँ कूष्माण्डा
पावन मन से पूजते, चौथे माँ का रूप।
मुखमंडल तेजोमयी, है सौंदर्य अनूप ।।
है सौंदर्य अनूप, प्रकाशित जग यह सारा ।
बाण धनुष है हाथ, आपसे रिपुदल हारा ।।
है कूष्माण्डा नाम, रूप माँ का मनभावन ।
‘वंदन’ बारंबार, दिवस नौ दिन हैं पावन ।।
वन्दना नामदेव