माँ की दुआ
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“ माँ की दुआ “
आ तुझे मैं लड़ना सिखाऊँ
ज़िंदगी की जंग जीतना सिखाऊँ॥
आ बताऊँ तुझे, दाना कैसे ढूँढते हैं
मुश्किलों में राह अपनी कैसे खोजते हैं
पंखों को तराशने का हुनर सीखना है
खुले आसमां में खुलकर नाचना है
चोंच मारकर चल तुझे आगे बढ़ाऊँ
आ , तुझे मैं उड़ना सीखाऊँ॥
गिराने की तुझे शत्रु लाख कोशिश करें
तू न डरना ,मुक़ाबले की मन में तेरे रहे
जीवन संग्राम है इसको समझ लें तू
धीरज से लडेगी तो कल जीतेगी ही तू
चल मन मेरा तेरा इस संग्राम में लगाऊँ
आ , तुझे मैं उड़ना सिखाऊँ ॥
आ तुझे सिखाऊँ परीक्षा कैसे देनी है
मुक़ाबला कर सीख हरेक से लेनी है
जीने न देगा ज़माना जो डर गयी तू
ख़ुद पर यकीं रखेगी तभी बढ़ेगी तू
निराशा की चिंगारी दिल से तेरे हटाऊँ
आ , तुझे मैं उड़ना सिखाऊँ ॥
स्वरचित और मौलिक
उषा गुप्ता , इंदौर