माँ का आँचल
माँ का आँचल ,
स्नेह भरा बादल ।
आजीवन प्रेम बरसाता,
हँसी हर पल में भरता।
धड़कनों को संगीत देता,
चाल में मस्ती भर देता ।
माँ का आँचल ,
शीतल हवा का झोंका ।
छूते ही होता तन मन पावन ,
मिटती हर तपन आता जैसे सावन ।
भर देता रग रग में लगन,
ओढ़ इसे छू लूँ मैं गगन।
माँ का आँचल ,
जैसे सागर गहरा ।
जो भी इसमें उतरे ,
वो पल पल निखरे ।
बहती इसमें सुख की लहरें,
दुख इसके आसपास न ठहरे।
माँ का आँचल ,
जैसे धूप सुनहरी।
किरणें आती रथ पर बैठकर ,
मिटाती अँधेरा प्रकाश फैलाकर।
गरमाहट ममता की देकर ,
हर लेती चिंताएँ सुकून देकर ।
माँ का आँचल ,
मीठी सी लोरी ।
बंधी जिससे बालपन की डोरी .
है ये मेरी ख़ुशियों की तिजोरी ।
मैं तो थी तख्ती कोरी ,
इस आँचल में सीख गई दुनियादारी ।
माँ का आँचल ,
जैसे धरती माँ ।
भूख प्यास मिट जाती ,
जैसे ही माँ की गोदी मिलती।
कमी किसी चीज़ की नहीं खलती ,
सुबह शाम जब माँ के आँचल में ढलती ।
माँ का आँचल ,
है रूह मेरी ।
जिसमें बचपन से अब तक की हैं यादें भरी ,
देख यही आँचल मैं धरती पर उतरी ।
कहा था भगवान ने,तेरी माँ है एक परी ,
इसलिए उसके आँचल तले मैं कभी न डरी ।
इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित