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8 Jun 2019 · 1 min read

माँ का अनादर

माँ तो इतना चाहती , बेटा बने महान ।
कभी प्यार से डाँट से ,कभी पकड़ती कान ।।
कभी पकड़ती कान ,कभी पकवान बनाती ।
कभी खेलती साथ ,साथ में दौड़ लगाती ।।
कहत’प्रखर’ कविराय ,चरण में जन्नत तेरे ।
बदल गया व्यवहार , पड़ गये जबसे फेरे ।।

-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’

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