माँ का अनादर
माँ तो इतना चाहती , बेटा बने महान ।
कभी प्यार से डाँट से ,कभी पकड़ती कान ।।
कभी पकड़ती कान ,कभी पकवान बनाती ।
कभी खेलती साथ ,साथ में दौड़ लगाती ।।
कहत’प्रखर’ कविराय ,चरण में जन्नत तेरे ।
बदल गया व्यवहार , पड़ गये जबसे फेरे ।।
-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’