*माँ कटार-संग लाई हैं* *(घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद )*
माँ कटार-संग लाई हैं (घनाक्षरी : सिंह विलोकित छंद )
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आई हैं तैयार हो के सिंह पे सवार हो के
करती प्रहार माँ कटार-संग लाई हैं
लाई हैं अचूक शक्ति दानव-संहार हेतु
देवी की भुजाऍं यह अष्ट-वरदाई हैं
वरदाई हैं भरेंगी भारत में नव-नाद
सिंहनाद-जैसी ध्वनियाँ ही आज छाई हैं
छाई हैं दसों दिशाऍं आज वीर भावना में
घड़ियाँ पराजय की शत्रुओं की आई हैं
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451