महिला दिवस
जो जननी है जगत शक्ति है।
जो बच्चों की है पालनहार।
कण कण पावन कर देती है, माता धवल गंग की धार।
वात्सल्य की सूरत माता,क्षमा भाव की मूरत है।
जिस दूध को पीकर बड़े हुए,
माता का पावन अमृत है।
कुदृष्टि किसी ने डाला तो उसकी दृष्टि छीनेंगे।
मातृशक्ति को अपशब्द कहा तो हलक से जिह्वा खींचेंगे।
अबला है ना बेबस है,ना नारी अब है लाचार।
जननी ही है जगत शक्ति जननी ही है पालनहार।
छुना चाहोगे आंचल तो यह सबको खंडित कर देगी।
अब किसी ने एसिड फेंका तो क्षत-विक्षत यह कर देगी।
गोविंद को नहीं पुकारेगी अब स्वयं करेंगी प्रतिकार।
जननी ही है जगत शक्ति, जननी ही है पालनहार।
चंदा पर जिसके कदम पड़े वह इसरो की बाला है।
यही सुनीता विलियम्स है यही कल्पना चावला है।
आदर पाकर देना सीखो इस संसार की नारी को।
जन्म देती पय पान कराती धरती के हर प्राणी को।
नर नारी में भेद नहीं अब,सभी करो यह सत्य स्वीकार।
जननी ही है जगत शक्ति, जननी ही है पालनहार।