*महिलाओं के रूप*
महिलाओं के रूप
कहा जाता है, कि जहांँ नारियों की पूजा होती है, वहांँ देवता भी वास करते हैं। नारी एक ऐसी शक्ति है जो हर शक्तिशाली हथियार और पुरुष भी उसके सामने नतमस्तक होकर निस्तेज जाता है। ज्ञानी और विज्ञानी भी आज तक इस बात को समझ नहीं पाए कि क्या कारण है, कि औरत हर एक हथियार को निष्फल कर सकती है। इतिहास इस बात का साक्षी गवाह है, कि अधिकतर प्रसिद्ध लड़ाइयां और युद्ध भी नारियों की वजह से ही हुए हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण रानी पद्मावती, सीता द्रौपदी आदि हैं। हर व्यक्ति और इतिहास प्रसिद्ध लेखकों और कवियों ने भी नारी के गुण और अवगुणों को अपने-अपने ढंग से व्यक्त किया है, मगर उनके पूरे गुण- अवगुण, बुराइयां, अच्छाई आदि को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर सके अर्थात गुण या अवगुण बुराई या अच्छाई रह ही जाती है।
हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कवि और लेखक ‘श्री रामधारी सिंह दिनकर’ जी ने भी कहा है, कि पुरुष शेर से लड़ सकता, हाथी को ललकार सकता है अर्थात दुनियां की हर मुसीबत का सामना कर सकता है और उन पर विजय भी प्राप्त कर लेता है मगर एक फूलों के समान कोमल स्त्री के सामने अपने घुटने टेक देता है, नतमस्तक हो जाता है अर्थात नारी में ऐसा क्या है, जिसके कारण हर पुरुष उसके आगे कमजोर सा दिखने लगता है। मैंने भी यह प्रश्न कई विद्वान लोगों और शादीशुदा लोगों से किया है, लेकिन आज तक कोई भी व्यक्ति इसका सटीक उत्तर नहीं दे सका जिससे मैं संतुष्ट हो पाता।
खैर कोई बात नहीं हमारी बात है, कि नारी के गुण-अवगुण अच्छाई या बुराई कितनी हैं? यह किसी को पता नहीं है। उपरोक्त विवरण के आधार पर मैं यह कहानी लिख रहा हूं, जिससे आपको स्पष्ट हो जाएगा कि वास्तव में औरत की माप की कोई माप नहीं है।
एक बार की बात है। एक व्यक्ति था, जिसका नाम था जग्गू। वह महिलाओं से बहुत चिढ़ता था क्योंकि स्कूल के समय में कई लड़कियों ने इसकी भरी क्लास में बेइज्जती की थी और अध्यापकों से पिटवाया था। इस बात से वह बहुत क्षुब्ध हो गया और तभी से उसने महिलाओं की बुराई और गुणों को लिखने की ठानी। समय बीतता गया धीरे-धीरे जग्गू भी व्यस्क हो गया मगर उसने महिलाओं की कमियों और बुराइयों को लिखना नहीं छोड़ा। वह हर समय इस कार्य में लगा रहता और जब भी उसे समय मिलता था वह महिलाओं के बारे में लिखता रहता था। एक दिन ऐसा भी आया जब जग्गू के पास नारी की बुराई और उसके गुण- अवगुण के इतने कागज हो गए कि उन्हें दो गधों पर लादकर कहीं ले जाया जा सकता था।
एक दिन जग्गू के मन में आया कि क्यों न इन कागजों को किताब बनाकर पब्लिश करा दिया जाए, जिससे मेरा नाम तो होगा ही साथ ही सभी लोग मुझे जानने और पहचानने लगेंगे। इस बात को सोचकर उसने एक ऊंँट लिया और उस पर सभी कागजों को लादकर प्रकाशित हेतु लेकर जा रहा था। गर्मियों के दिन थे। रास्ते में रेत अधिक होने और तेज धूप होने के कारण वह किसी गांँव के किनारे छायादार पेड़ की छांँव में पसीना सूखाने के लिए रुक गया। जैसे ही वह पेड़ के नीचे अपना पसीना सुखा रहा था, तभी वहांँ एक महिला उसी गांँव की वहांँ आ गई और उससे पूछने लगी कि ऊँट पर लादकर वह क्या ले जा रहा है? इस पर जग्गू ने जवाब दिया कि वह ऊँट पर महिलाओं की बुराइयों के बारे में लिखे कागजों को ले जा रहा है। महिला ने कहा, “इतने सारे कागज हैं महिलाओं की बुराई के।”इसके जवाब में जग्गू ने कहा, “हाँ”। वह महिला बहुत चालाक थी। उसने कहा,”कि सभी रूप लिख लिये महिलाओं के, कोई बचा तो नहीं है।” जग्गू ने कहा, “नहीं बचा”। तभी वह महिला जग्गू के पास आकर चीखने और चिल्लाने लगी और इस तरह रोने लगी मानो जग्गू ने उसकी इज्जत से छेड़खानी की हो और शोर मचाने लगी। उस महिला के चीखने चिल्लाने की पुकार सुनकर गाँव वाले वहांँ आ गए और उन्होंने किसी से बिना पूछे और बिना सोचे समझे जग्गू की अच्छी तरह से धुनाई कर दी, इससे पहले की जग्गू कुछ कह पाता। इन गांँव वालों ने जग्गू को अच्छी तरह से पीटने के बाद महिला से पूछा क्या बात थी?
तब महिला ने बताया, “कुछ नहीं मेरे पैरों में सांप था, वह अभी-अभी कहीं चला गया।”यह सुनकर गांँव वालों ने जग्गू से क्षमा मांगी और सभी अपने-अपने घर चले गए। तब उस महिला ने जग्गू से कहा,”कि तुमने यह रूप लिखा था क्या?”तब जग्गू ने उस महिला के आगे हाथ जोड़े और क्षमा मांगी कि महिलाओं की बुराई (रूप) को लिखना असंभव है और जो ऐसा करेगा वह महामूर्ख है।
महिला द्वारा किए गए कृत्यों से सीख लेकर जग्गू ने सारे कागज फेंक कर घर वापस लौटते समय उसने उस महिला से कहा,”जो औरत के रूप लिखे वह पागल नहीं महा पागल है। मुझे क्षमा करना वास्तव में औरत के रूप लिखना किसी के बस की बात नहीं।”