Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 3 min read

महाश्रृंङ्गार_छंद_विधान _सउदाहरण

महाश्रृंङ्गार_छंद

यह महाशृंगार छंद, शृंगार छंद के विधानुसार ही लिखा जाता है , पर 16 पर यति देकर 32 मात्रा पर चरणांत करना होता है |
शृंगार छंद बहुत ही मधुर लय का 16 मात्रा का चार चरण का छंद है। तुक दो दो चरण में या चारो चरण में होती है , | इसकी मात्रा बाँट 3 – 2 – 8 – 3 (ताल) है। प्रारंभ के त्रिकल के तीनों रूप मान्य है जबकि अंत का त्रिकल केवल दीर्घ और लघु (21) होना चाहिए। द्विकल 1 1 या 2 हो सकता है। अठकल के नियम जैसे प्रथम और पंचम मात्रा पर शब्द का समाप्त न होना, 1 से 4 तथा 5 से 8 मात्रा में पूरित जगण का न होना और अठकल का अंत द्विकल से होना मान्य हैं।

विधान-16,16 पर यति कुल 32 मात्राएँ प्रति चरण।
कुल चार चरण। चरण का प्रारंभ त्रिकल फिर द्विकल से
एवं चरणान्त गाल (21) से अनिवार्य।

चरणान्त दो दो चरण की तुकान्त हो तो #उत्तम ।
दो दो चरणों में यति पूर्व की तुकान्त दूसरे चरण की यति पूर्व सम हो तो #सर्वोत्तम।
चारों चरण की हो तो #अति_सर्वोत्तम होती है।
**********************************
इस छंद में आप #मूलछंद , #मुक्तक , #गीतिका #गीत लिख सकते है |
जिनके उदाहरण मैं ( सुभाष सिंघई ) सृजन कर प्रस्तुत कर रहा हूँ

करें अब राधा का शृंगार , गूँथते वेणीं में मधु फूल |
नदी का माने वह उपकार , बैठने देता है जो कूल ||
कहे अब राधा हे घन श्याम, हुआ है मान महाशृंगार |
जानती तेरा हूँ यह काम , सभी मैं समझी हूँ अभिसार‌ ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब मुक्तक में

समय का नहीं रहा विश्वास , चले है कैसे अब यह दौर |
भरोसा नहीं किसी पर खास , कहाँ पर कैसा मिलता ठौर |
मिले जब घातों पर ही घात , समझ लो खतरे में है बात ~
बचो अब दुश्मन से दिन रात , करो मत कोई अपना शौर |
==================================
अपदांत गीतिका ( आधार महाश्रृंङ्गार छंद )

चली है पगडंडी पर नार , झलकती मुख पर थोड़ी लाज |
किया है उसने जो शृंगार , दर्श में खिले कुमदिनी आज ||

कान की बाली बजती झूम , अनोखा बिखरे अब संगीत ,
गाल को लेती बढ़कर चूम , करे वह खुद पर थोड़ा नाज |

सिकुड़कर गोरी होती दून , बनी है सबको वह चितचोर ,
बना है घूघट अब मजमून , बोलता जैसे पूरा साज |

गाँव में भारी होता शोर , चले नर नारी उसकी ओर ,
नैन की घायल करती कोर , देखते छैला बनकर बाज |

हारता मन को यहाँ “सुभाष” , अमिट है गोरी की अब छाप ,
रूप का करना चाहे प्राश , लगे वह सबको अपना ताज |
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गीत (आधार महाश्रृंङ्गार छंद )

राधिका यमुना के है कूल , बने है भोले भाले श्याम | मुखड़ा
कहे अब तेरे चेहरे धूल , छुड़ाता हाथों से अविराम ||टेक

इशारा करती राधा देख , श्याम की पूरी मंशा जान |अंतरा
कहे तू छूने करता‌ लेख , यहीं मैं जानू तेरा मान ||
आज भी नटखट करता काम , श्याम भी हँसते है उस शाम |पूरक
कहे अब तेरे चेहरे धूल , छुड़ाता हाथों से अविराम ||टेक

खिले है कमल नदी के नीर , हरे सब मन की पूरी पीर |अंतरा
राधिका हँसती कृष्णा देख , लगे भी श्यामा बड़े अधीर ||
कहें क्यो रोके लेकर नाम , दिखा है तिनका नथनी थाम |पूरक
कहे अब तेरे चेहरे धूल , छुड़ाता हाथों से अविराम ||टेक

चली है पवन वहाँ कर शोर , नाचते दिखते है अब मोर |अंतरा
सुहाना लगता है सब ओर , श्याम भी राधा करे निहोर ||
बोलते मानो मेरी बात , नहीं है खर्चा कुछ भी दाम |पूरक
कहे अब तेरे चेहरे धूल, छुड़ाता हाथों से अविराम ||टेक
~~~~~~~~~~~~~~~~~
#सुभाष_सिंघई , एम. ए. हिंदी साहित्य , दर्शन शास्त्र , निवासी जतारा ( टीकमगढ़ ) म० प्र०

Language: Hindi
135 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
**** फागुन के दिन आ गईल ****
**** फागुन के दिन आ गईल ****
Chunnu Lal Gupta
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
Dr Archana Gupta
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
Subhash Singhai
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
Dr Tabassum Jahan
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
कवि दीपक बवेजा
घुंटन जीवन का🙏
घुंटन जीवन का🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
फिर एक पल भी ना लगा ये सोचने में........
फिर एक पल भी ना लगा ये सोचने में........
shabina. Naaz
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*लेखा सबका रख रहे, चित्रगुप्त भगवान (कुंडलिया)*
*लेखा सबका रख रहे, चित्रगुप्त भगवान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुस्कुरा  दे  ये ज़िंदगी शायद ।
मुस्कुरा दे ये ज़िंदगी शायद ।
Dr fauzia Naseem shad
रावण न जला हां ज्ञान जला।
रावण न जला हां ज्ञान जला।
मधुसूदन गौतम
सलाम
सलाम
Dr.S.P. Gautam
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वक्त रुकता नहीं कभी भी ठहरकर,
वक्त रुकता नहीं कभी भी ठहरकर,
manjula chauhan
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
**हे ! करतार,पालनहार,आ कर दीदार दे**
**हे ! करतार,पालनहार,आ कर दीदार दे**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
Piyush Goel
आभास (वर्ण पिरामिड )
आभास (वर्ण पिरामिड )
sushil sarna
3639.💐 *पूर्णिका* 💐
3639.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अब वो लोग भी कन्या पूजन के लिए लड़कियां ढूंढेंगे जो बेटियों
अब वो लोग भी कन्या पूजन के लिए लड़कियां ढूंढेंगे जो बेटियों
Ranjeet kumar patre
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर #विशेष_कविता:-
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर #विशेष_कविता:-
*प्रणय*
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
विकास शुक्ल
दरकती ज़मीं
दरकती ज़मीं
Namita Gupta
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
........?
........?
शेखर सिंह
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
न हम नजर से दूर है, न ही दिल से
Befikr Lafz
मासी की बेटियां
मासी की बेटियां
Adha Deshwal
"शाश्वत"
Dr. Kishan tandon kranti
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
"पुरे दिन का सफर कर ,रवि चला अपने घर ,
Neeraj kumar Soni
Loading...