महालक्ष्मी छंद आधृत मुक्तक
विधान- ऽ।ऽ,ऽ।ऽ,ऽ।ऽ ( रगण×3)
कामना प्राप्ति की दूर हो ।
साथ तेरा मुझे नूर हो।
लोग बातें बनाते रहें,
आँख में प्यार ही पूर हो।।1
नाव डूबे नहीं धार में।
लोग खोए रहें प्यार में।
खोज ऐसा सहारा यहाँ,
छूटता जो नहीं हार में।2
लालिमा छा गई भोर में।
कालिमा भी मिटी भोर में।
रागिनी सी बजी देखिए,
पक्षियों के सदा शोर में।।3
आज फैली दिखीं झोलियाँ।
लौट जाती अभी डोलियाँ।
काश! कोई बचाए सही,
आबरू की लगें बोलियाँ।4
देश की शान हैं बेटियाँ।
बाप की आन हैं बेटियाँ।
क्षेत्र कोई अछूता नहीं,
आज सम्मान हैं बेटियाँ।।5