Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2020 · 2 min read

महाभारत के बदलतें रंग

बाल्यकाल से युवावस्था तक हमनें क्रमशः तीन महाभारत देखी, बी आर चोपड़ा साहब की सहज महाभारत ,एकता कपूर की धधकती महाभारत और वर्तमान में प्रसारित आज की राजनैतिक महाभारत ।
तीनों को एक पटरी पर रख कर देखा जाए तो पटरी लहरनुमा नज़र आती है,बी आर चोपड़ा साहब की महाभारत में नियम थे,सादगी थी,धर्मोपदेश थे, यहाँ तक ब्लैक एंड वाइट टीवी में भी वह रंगीन ही दिखती थी।

वहीँ एकता जी की महाभारत में विज्ञान के सभी नियमों को बेबाक़ी से उपयोग किया गया है ,बेहतर क्वालिटी के तीर ,उच्च मारक क्षमता,सुपर डिफेंसिव सिस्टम और फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट का कुशल उपयोग है।

जहाँ पहले की महाभारत में एक तीर से 6 से 7 तीर निकलतें थे ,वही एकता जी की महाभारत में 20 से 25 तीर साधारण से साधारण योद्धा निकालने में सक्षम है ।
पर सभी को धता बताती आज की महाभारत में नेतागणों का एक कथन लाखों विषैले तीर पुंज के समान आघात करते है और इंसानियत, रोड़ो पे बिलखती नजर आती है ।

इन उच्चावचों के बीच कुछ समानताएं भी है ,कठोर और निष्पक्ष निर्णय की कमी का परिणाम भीषण युद्ध के रूप में सामने आया,यही स्थिति एकता के महाभारत में भी थी बस निर्णयों में आवेग की प्रधानता हो चली थी, जो आगे चलकर आज की महाभारत का मुख्य सूत्रधार बन गया। जाति ,धर्म ,रंग,मज़हब आदि को धृतराष्ट्र ज्योति से देखना और एकपक्षीय निर्णय लेने की परंपरा ने सामाजिक संरचना को बिखेर कर रख दिया ।

अगर कुछ नही बदला तो वह युद्ध नीति की ‘मैनी टू वन’ की पॉलिसी हैं ।यह अनवरत चल रही है ,कभी इसका शिकार अभिमन्यु को बनना पड़ा तो कभी पालघर के साधुओं को,तो कभी आपको और तो कभी हमको। यह सिद्ध करता है कि महाभारत काल से ही हम निर्णय भीड़ से करते आये है।

महाभारत की साधारण सेना तलवार चलाना जानती थी ,छुटपुट झडपों से ख़ुद को बचाने में सक्षम थी, पर
महाभारत की वो साधारण सेना आज के लोकतंत्र के वो नागरिक बन गए है जिन्हें तलवार अर्थात संवैधानिक अधिकारों का ज्ञान ही नही है और राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए धर्म और जाति के नाम पर लड़ाते हैं और वे गाजर मूलियों जैसे काटे जाते है ,शायद ऐसा नरसंहार तो महाभारत में भी नही हुआ होगा।

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 5 Comments · 537 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ख़ूबसूरती का असली सौंदर्य व्यक्ति की आत्मा के साथ होता है, न
ख़ूबसूरती का असली सौंदर्य व्यक्ति की आत्मा के साथ होता है, न
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गंगा- सेवा के दस दिन (आठवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (आठवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
डर लगता है।
डर लगता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कौड़ी के भाव ले के दुआ
कौड़ी के भाव ले के दुआ
अरशद रसूल बदायूंनी
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
कहां गयी वो हयादार लड़कियां
shabina. Naaz
💞सुना है ....
💞सुना है ....
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
यूं तन्हाई में भी तन्हा रहना एक कला है,
यूं तन्हाई में भी तन्हा रहना एक कला है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मिटते ही इंसान के,
मिटते ही इंसान के,
sushil sarna
कणों से बना हुआ समस्त ब्रह्मांड
कणों से बना हुआ समस्त ब्रह्मांड
ruby kumari
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अंधेर नगरी
अंधेर नगरी
Dr.VINEETH M.C
हरियाली तीज
हरियाली तीज
SATPAL CHAUHAN
झुकना होगा
झुकना होगा
भरत कुमार सोलंकी
खुलेआम मोहब्बत को जताया नहीं करते।
खुलेआम मोहब्बत को जताया नहीं करते।
Phool gufran
💐*एक सेहरा* 💐
💐*एक सेहरा* 💐
Ravi Prakash
तन्हायी
तन्हायी
Dipak Kumar "Girja"
सहज रिश्ता
सहज रिश्ता
Dr. Rajeev Jain
क्या कहूं उस नियति को
क्या कहूं उस नियति को
Sonam Puneet Dubey
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
Jatashankar Prajapati
मैं खड़ा किस कगार
मैं खड़ा किस कगार
विकास शुक्ल
..
..
*प्रणय*
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
Bhupendra Rawat
ये 'लोग' हैं!
ये 'लोग' हैं!
Srishty Bansal
हम सबके पास शाम को घर लौटने का ऑप्शन रहना ज़रूरी है...हम लाइ
हम सबके पास शाम को घर लौटने का ऑप्शन रहना ज़रूरी है...हम लाइ
पूर्वार्थ
पत्थर
पत्थर
manjula chauhan
Legal Quote
Legal Quote
GOVIND UIKEY
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
"प्रपोज डे"
Dr. Kishan tandon kranti
*इन तीन पर कायम रहो*
*इन तीन पर कायम रहो*
Dushyant Kumar
Loading...