महान् बनना सरल है
महान् बनना सरल है
मानवीय भाव जिन्दा रखो
यही महानता की प्रथम और अंतिम परीक्षा है
सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा
महान् बनना सरल है
मानवीय भाव जिन्दा रखो
यही महानता की प्रथम और अंतिम परीक्षा है
सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा