महात्म्य ऊषणोदकस्य
राम सिया राम सियाराम जै जै राम
सुनहु समाज जन सब कोई,
ऊषणोदक सम् प्रीत नहि होई।
राम सिया राम सियाराम जै जै राम।
जिस दिन चाय पीबई नहि कोई,
दिन सम्पूर्ण नरक सम् होई।राम सिया राम सियाराम जै जै राम ।
सांझ परात जै चाय नहि पीबी,
मनुख रुप धरि पशु सन जीबी ।राम सिया- – ।
जस् सम् चाय पीयई जो घट घट,
काम होए तहिना ओ झट-पट ।राम सिया – – ।
जग में चाय जाति अनेका,
लाल हरा और उजला देखा ।राम सिया – – ।
जो मेहमान को ग्रीनटी पीलाई,
सो मानुष 80कुंड नरक में जाई।राम सिया – – ।
कह उमा सुनु जग भरि बहिनी हमारी,
शिव सों पायल सत्य विचारी ।राम सिया – – ।
पुरुख समान जग में मुरुख नहि कोई,
चाय पिलाई काम करवाले जो सोहि । राम सिया – – ।
रोग शोक व्रत विपति अभागा,
चाय घोंट में रोक न लागा ।राम सिया – – – ।
बार बार नित गान करें, चाय महात्म्य बखान ।
शरीर स्फूर्ति बनी रहे, दुख का कुछ नही भान।।
राम सिया राम सियाराम जै जै राम
राम सिया राम सियाराम जै जै राम ।
— उमा झा