*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
ज़िंदगी की कँटीली राहों पर
ओस
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
वादा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भीड़ और लोगों के अप्रूवल्स इतने भी मायने नहीं रखते जितना हम म
'डोरिस लेसिगं' (घर से नोबेल तक)
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
चाय सी महक आती है तेरी खट्टी मीठी बातों से,
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
शबाब देखिये महफ़िल में भी अफताब लगते ।