महाकुंभ भजन अरविंद भारद्वाज
महाकुंभ
महाकुंभ के मेले में मिल कर, नर-नारी सब आ जाओ
धरती लोक पे अमृत बरसा, गंगाजल पीने आओ
गंगा- यमुना- सरस्वती की, धारा यहाँ से बहती है
सिद्ध ऋषि रहते हैं यहाँ, योगिनी भी यहाँ पर रहती है
निर्मल पावन जल की धारा से,स्नान आज करके जाओ
धरती लोक पे अमृत बरसा, गंगाजल पीने आओ
तपोभूमि में बसे अखाड़े, जन- जन को सेवा देते हैं
सच्चे मन से आने पर, भगवन पीड़ा हर लेते हैं
साधु संतों की भूमि में, डुबकी सारे लगा जाओ
धरती लोक पे अमृत बरसा, गंगाजल पीने आओ
देश विदेश से सारे सनातनी, डुबकी लगाने आते हैं
एक रहेंगे मिलकर कहेंगे, जय भारत सब कहते हैं
धर्म संस्कृति सनातनी अपनी,इसका हिस्सा बन जाओ
धरती लोक पे अमृत बरसा, गंगाजल पीने आओ
© अरविंद भारद्वाज