Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Nov 2020 · 3 min read

महर्षि दधीचि

श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।
एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा-
नारद- बालक तुम कौन हो ?
बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।
नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ?
बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।
तब नारद ने ध्यान धर देखा।नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी।
बालक- मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
नारद- तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।
बालक- मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?
नारद- शनिदेव की महादशा।
इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।
नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी।ब्रह्मा जी से वर्य मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया।शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे।अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए।ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर्य मांगने की बात कही। तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे-

1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा।जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।

2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।

ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया।तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया । जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।अतः तभी से शनि “शनै:चरति य: शनैश्चर:” अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए।
सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है।आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की,जो आज भी ज्ञान का वृहद भंडार है…..

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 407 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं नास्तिक क्यों हूॅं!
मैं नास्तिक क्यों हूॅं!
Harminder Kaur
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
Dr Archana Gupta
प्यारा सा स्कूल
प्यारा सा स्कूल
Santosh kumar Miri
सुंदर सुंदर कह रहे, सभी यहां पर लोग
सुंदर सुंदर कह रहे, सभी यहां पर लोग
Suryakant Dwivedi
फिसलती रही रेत सी यह जवानी
फिसलती रही रेत सी यह जवानी
मधुसूदन गौतम
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
Atul "Krishn"
प्रेम दिवानों  ❤️
प्रेम दिवानों ❤️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
यह मेरी मजबूरी नहीं है
यह मेरी मजबूरी नहीं है
VINOD CHAUHAN
नारी के सोलह श्रृंगार
नारी के सोलह श्रृंगार
Dr. Vaishali Verma
लड़कियों को विजेता इसलिए घोषित कर देना क्योंकि वह बहुत खूबसू
लड़कियों को विजेता इसलिए घोषित कर देना क्योंकि वह बहुत खूबसू
Rj Anand Prajapati
" मशहूर "
Dr. Kishan tandon kranti
राम ने कहा
राम ने कहा
Shashi Mahajan
4175.💐 *पूर्णिका* 💐
4175.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बार -बार दिल हुस्न की ,
बार -बार दिल हुस्न की ,
sushil sarna
इंतहा
इंतहा
Kanchan Khanna
चली ये कैसी हवाएं...?
चली ये कैसी हवाएं...?
Priya princess panwar
"सलाह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कहीं पे पहुँचने के लिए,
कहीं पे पहुँचने के लिए,
शेखर सिंह
भ्रम अच्छा है
भ्रम अच्छा है
Vandna Thakur
दोहे एकादश...
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जिंदगी एक परीक्षा है काफी लोग.....
जिंदगी एक परीक्षा है काफी लोग.....
Krishan Singh
*कविवर रमेश कुमार जैन*
*कविवर रमेश कुमार जैन*
Ravi Prakash
पागल सा दिल मेरा ये कैसी जिद्द लिए बैठा है
पागल सा दिल मेरा ये कैसी जिद्द लिए बैठा है
Rituraj shivem verma
फकीर का बावरा मन
फकीर का बावरा मन
Dr. Upasana Pandey
🙅पहचान🙅
🙅पहचान🙅
*प्रणय*
वो भी तो ऐसे ही है
वो भी तो ऐसे ही है
gurudeenverma198
ये जो नफरतों का बीज बो रहे हो
ये जो नफरतों का बीज बो रहे हो
Gouri tiwari
वो अपने बंधन खुद तय करता है
वो अपने बंधन खुद तय करता है
©️ दामिनी नारायण सिंह
उसकी सुनाई हर कविता
उसकी सुनाई हर कविता
हिमांशु Kulshrestha
Loading...