महबूबा है चाँद सी
******** महबूबा है चाँद सी ********
********** दोहवली **************
महबूबा है चाँद सी, गोरे – गोरे गाल।
सूरज सी चमके सदा,रेशमी काले बाल।।
शरबती तिरे नैन हैं , मतवाली है चाल।
नैन – नशीले बावरे , हाल होत बेहाल।।
चोरी – चोरी देखते , कंचन काया काम।
चाँद-चकोरी बावली,अमूल्य बहुत दाम।।
इशारे से पुकारती, चंचल सुंदर नार।
छत पर आकर बैठती, दे जिंदा ही मार।।
यौवन से भरपूर वो,कोई नही जवाब।
रात-दिन रहे देखते,सुंदर – सुंदर ख्वाब।।
मनसीरत तो खिल उठे,देख तेरी तस्वीर।
संग-संग गर तुम चलो,बन मेरी तकदीर।।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)