महबूबा से
तुमने जो मुझको दूर किया
वह नुकसान तुम्हारा था
जिस दिल को चकनाचूर किया
वह मकान तुम्हारा था…
(१)
मुझे अपने लिए कोई ग़म नहीं
अफ़सोस है तो बस तुम्हारे लिए
जान का तोहफ़ा लाने वाला
मैं मेहमान तुम्हारा था…
(२)
यहां लोग तो चाहा करते हैं
इज़्ज़त-दौलत-शोहरत-ताकत
लेकिन मुझे किसी भी क़ीमत पर
एक अरमान तुम्हारा था…
(३)
क़िस्मत या दुनिया हरगिज़ नहीं
तुम ख़ुद ही अपनी दुश्मन बनी
दफा हो जाओ मेरी नज़रों से
यह फ़रमान तुम्हारा था…
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Shekhar Chandra Mitra
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