महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
तो कुछ सुनाना पड़ता है;
छुपाना होता है ग़म
मुस्कुराना पड़ता है;
बड़ा अजीब सा वक़्त है अब
हम भी अज़ीज़ थे कभी
उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
हिमांशु Kulshrestha
महफ़िल जो आए
तो कुछ सुनाना पड़ता है;
छुपाना होता है ग़म
मुस्कुराना पड़ता है;
बड़ा अजीब सा वक़्त है अब
हम भी अज़ीज़ थे कभी
उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
हिमांशु Kulshrestha