Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2024 · 1 min read

महफ़िल जो आए

महफ़िल जो आए
तो कुछ सुनाना पड़ता है;
छुपाना होता है ग़म
मुस्कुराना पड़ता है;
बड़ा अजीब सा वक़्त है अब
हम भी अज़ीज़ थे कभी
उन्हें याद दिलाना पड़ता है।

हिमांशु Kulshrestha

201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सोहर
सोहर
Indu Singh
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
फूलों की बात हमारे,
फूलों की बात हमारे,
Neeraj Agarwal
"खुद का उद्धार करने से पहले सामाजिक उद्धार की कल्पना करना नि
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
पूर्वार्थ
"परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
Mukul Koushik
"जीवन का प्रमेय"
Dr. Kishan tandon kranti
अनंत की ओर _ 1 of 25
अनंत की ओर _ 1 of 25
Kshma Urmila
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
देख लूँ गौर से अपना ये शहर
देख लूँ गौर से अपना ये शहर
Shweta Soni
फूलों की खुशबू सा है ये एहसास तेरा,
फूलों की खुशबू सा है ये एहसास तेरा,
अर्चना मुकेश मेहता
उन्नति का जन्मदिन
उन्नति का जन्मदिन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
gurudeenverma198
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
2839.*पूर्णिका*
2839.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
VINOD CHAUHAN
*ईख (बाल कविता)*
*ईख (बाल कविता)*
Ravi Prakash
अच्छे दामों बिक रहे,
अच्छे दामों बिक रहे,
sushil sarna
हिंदी दिवस पर ग़ज़ल
हिंदी दिवस पर ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जब तुमने वक्त चाहा हम गवाते चले गये
जब तुमने वक्त चाहा हम गवाते चले गये
Rituraj shivem verma
नव प्रस्तारित सवैया : भनज सवैया
नव प्रस्तारित सवैया : भनज सवैया
Sushila joshi
सियासी गली में
सियासी गली में
*प्रणय*
भिंगती बरसात में युँ ही बेचारी रात
भिंगती बरसात में युँ ही बेचारी रात
©️ दामिनी नारायण सिंह
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
Atul "Krishn"
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
पसीना पानी देता मुझको,
पसीना पानी देता मुझको,
TAMANNA BILASPURI
अधर मौन थे, मौन मुखर था...
अधर मौन थे, मौन मुखर था...
डॉ.सीमा अग्रवाल
चुनिंदा अशआर
चुनिंदा अशआर
Dr fauzia Naseem shad
नवयुग का भारत
नवयुग का भारत
AMRESH KUMAR VERMA
Loading...