महकना तो हम भी चाहते थे __ मुक्तक
महकमा तो सारा ही खुशबू से तर था।
मगर रुतबा तो हमारा सबसे इतर था।
महकना तो हम भी चाहते थे साथ में उनके ही,
इत्र जो लाए थे वे वह कहां बेहतर था।।
राजेश व्यास अनुनय
महकमा तो सारा ही खुशबू से तर था।
मगर रुतबा तो हमारा सबसे इतर था।
महकना तो हम भी चाहते थे साथ में उनके ही,
इत्र जो लाए थे वे वह कहां बेहतर था।।
राजेश व्यास अनुनय