महंगाई का दंश
रंग, अबीर और गुलाल
सब पर महंगाई का दंश
जनता में दिखता नहीं कहीं
होली पर्व का खास उमंग
गुझिया और नमकीन के भी
काफी ऊंचे हो गए हैं दाम
घर घर का आम बजट भी
अब हो गया बिल्कुल धड़ाम
पूंजीपतियों के होकर रह गए
देश के सभी पर्व और त्यौहार
आम आदमी की झोली में बचे
हैं सिर्फ़ विवशता और इंतजार
हे ईश्वर इस देश के कर्णधारों
को दीजिए सन्मति का दान
सत्तामद से परे हट वो कर सकें
जनता का समुचित कल्याण