मस्त बचपन
गीतिका
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मस्त बचपन की लहर है देखिए।
बढ़ चली अपनी डगर है देखिए।
भेद भावों की नहीं कोई खबर,
खूब यह बचपन निडर है देखिए।
गगरिया को थाम कर बिटिया चली,
लचकती नन्ही कमर है देखिए।
मुक्त चिन्ता से रहा करती सदा,
मुस्कुराते लघु अधर हैं देखिए।
जब सुरक्षित हो सहज मासूमियत,
जिन्दगी जाती निखर है देखिए।
सामने की आहटें सुनता नहीं,
नित्य शैशव बेखबर है देखिए।
हाथ नन्हें काम कर लेते बहुत,
पेटभर भोजन जिधर है देखिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य