मस्तमौला फ़क़ीर
आवारगी में सुबह से
तू शाम किए जा
नाम वालों में ख़ुद को
गुमनाम किए जा…
(१)
सारी समझदारियों से
किसी तरह बचकर
तू दीवानगी भरे कुछ
काम किए जा…
(२)
जाहिलों और शातिरों की
सोहबत से दूर
बस मासूमों के दिल में
मुकाम किए जा…
(३)
रोता हुआ आया लेकिन
हंसता हुआ जाए
फ़क़ीरों वाला अपना
अंज़ाम किए जा…
(४)
अब वक़्त की धारा में
चुपचाप बहकर
मुसलसल अपनी ज़िंदगी
आसान किए जा…
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