मशक-पाद की फटी बिवाई में गयन्द कब सोता है ?
मशक-पाद की फटी बिवाई में गयन्द कब सोता है ?
चींटी के बिल में प्रवेश कर ऊंट भला कब खोता है ?
धीर पुरुष गरिमा से गिरकर कोई काम नहीं करता ,
गर्जन ही करता पीड़ा में, कभी मृगेन्द्र न रोता है ।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी