मल्हार
मल्हार
झूला तो डल गये अमियां की डार पै जी।
ऐ जी मेघा रह रह रहे हैं फुहार।
पिहु पिहु पपिहा मयूरी लगी नाचने री।
आए पिय अँगना बदरी लगी बाजने री।
पिय ने बुलाई री! मैं नदिया के तीर पै जी।
ऐ जी कोई छुप छुप रह्यो है निहार।
झूला तो डल गये……..
ठिठोली करें सखियाँ मरी मैं तो लाज से री।
आयो री सावरिया मेरो झोटा के ब्याज से री।
ऐ जी कोई मोपै रह्यो है डोरे डार।
झूला तो डल गये……..
आयो सावन वैरी नटखट प्यार कौ जी।
अँखियन संदेशा लायो री भुजहार कौ जी।
ऐ जी कैसें गाऊँ सावन की मल्हार।
झूला तो डल गये……
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुरकलाँ, सबलगढ़(म.प्र.)