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16 May 2023 · 1 min read

मर्यादा

‘मर्यादा’

जब सत्ता का संबल ओछे के साथ हो जाए
तो इंसानियत जार जार रो देती है,
और भाषा अपनी मर्यादा खो देती है।

जब सत्ता का संबल ओछे के साथ हो जाए
संस्कार नाम की चीज़ नहीं बचती,
रिश्तों में मर्यादा नहीं बचती।

जब सत्ता का संबल ओछे के साथ हो जाए
शोषण की करतूत सराही जाती है,
पोषण की मर्यादा बच नहीं पाती है।

जब सत्ता का संबल ओछे के साथ हो जाए
निर्बल का जीवन कष्टमय हो जाता है,
सबल अपनी मर्यादा निश्चय ही गँवाता है।

जब सत्ता का संबल ओछे के साथ हो जाए
तो यह चारों और क़हर बरपाती है,
मर्यादा शब्दकोश का शब्द भर रह जाती है।

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