मर्यादा
भ्रमर दोहा छंद
मर्यादा ही राखिये, माता सीता जान।
सीता -रामा पाइये, रामा- रामा मान।
मर्यादा ही जानिये,आते -आते काम।
मैंने देखा देखिये,मारा -मारी आम।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मौलिक रचना।
भ्रमर दोहा छंद
मर्यादा ही राखिये, माता सीता जान।
सीता -रामा पाइये, रामा- रामा मान।
मर्यादा ही जानिये,आते -आते काम।
मैंने देखा देखिये,मारा -मारी आम।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मौलिक रचना।