*”मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम”*
“मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम”
सबके हिय में बसते श्री राम ,
जय श्री राम जय सियाराम जय सियाराम।
हे रघुनंदन नील वर्ण धनुध धारी सद्गुण सत्कर्म शक्ति शौर्य वान।
ओ पालनहारी मर्यादा पुरूषोत्तम
मुश्किलों को करते हो आसान।
जय श्री राम जय जय सियाराम जय जय सियाराम…..! ! !
करुणा दया प्रेम सत्य का प्रतीक एकाग्र चित्त शांति दे जाते।
अमृत कलश समुंदर सा पवित्र निर्मल ,भक्तों हॄदय में बस जाते।
जय जय सियाराम जय जय सियाराम …..! ! !
तेज पुरूष दिव्य स्वरूप सबके मन मे बसते हैं श्री राम।
बुराइयों पे अच्छाई की जीत हासिल कर ,
रावण का अंहकार तोड़ सद्गुणों की खान है श्री राम।
जय जय सियाराम जय जय सियाराम……! ! !
अंतर्मन से जप लो राम मुख से बोलो जय सियाराम।
अयोध्या में जन्म लिया उनका धाम कौशिल्या के प्यारे श्री राम।
आओ मिलकर पूजा अर्चना करते
दिव्य शक्ति का दर्शन श्री राम।
जय जय सियाराम जय जय सियाराम…..! ! !
चराचर जगत विश्व धरा पर गूँजे श्री राम।
सत्य प्रेम करुणा दया धर्म पर विजय पताका फहराते श्री राम।
जय जयकार से धरती गूंजायमान असीम कृपा शक्ति अमृत बरसाते हैं श्री राम।
जय जय सियाराम जय जय सियाराम……! ! !
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जय श्री राम जय जय सियाराम।
शशिकला व्यास शिल्पी