मर्यादा पुरुषोत्तम राम
नाम आपका रटते- रटते हुई सुबह से शाम।
रघुकुलनन्दन कब आओगे मुझ निर्धन के धाम।
नयनों को बिना दर्शन, चैन नहीं मिलने वाला,
निहार छवि व्याकुल मन को मिल जाएगा आराम।।
-स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी “राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)