मरे से जिये का रिश्ता
एक बार मैं एक पोस्टमार्टम करवा , उसकी रिपोर्ट तैयार कर कक्ष से बाहर आ रहा था तो मैंने देखा कि एक आदमी हथकड़ियों से बंधा बाहर बैठा था , उसकी रस्सी को मृतक के शरीर के साथ आए पटवारी ने पकड़ रखा था तथा अपनी बगल में एक सफेद कपड़े में सील मोहर बंद कुल्हाड़ी नुमा हथियार दाबे हुआ था । पहाड़ों पर हर जगह हथियार बंद पुलिस नहीं होती तथा तथा वहां पर नियम कानून का नियंत्रण इन्हीं राजस्व विभाग के पटवारियों के हाथ में होता है । वे अपने कार्य में इतने निपुण होते हैं की एक दफा 302 के मुजरिम तक को भी , हत्या में प्रयुक्त हथियार के साथ बरामद कर मात्र अपने डंडे और कानून का भय दिखाकर गिरफ्तार करके ले आते हैं या यूं कहें कि पहाड़ों पर रहने वाली जनता इतनी भोली भाली है और इतनी अपराध प्रवीण नहीं है जिसके कारण वह मात्र पटवारी के भय से अपराध नियंत्रण में रहती है । प्रायः पोस्टमार्टम हाउस में मृतक का शरीर ही लाया जाता है और उसके रिश्तेदार बाहर रहते हैं । पहली बार किसी अपराधी को भी हथकड़ी से बंधे हुए वहां बाहर आया देख मुझे कुछ अजीब सा लगा अतः मैंने साथ आए पटवारी से उस हथकड़ी से बंधे अपराधी के बारे में पूछा ।
इस पर पटवारी ने बताया कि ये मृतक का सगा भाई है , फिर अपने बगल में दबी कुल्हाड़ी की ओर इशारा करते हुए बताया कि इसने इसी कुल्हाड़ी से वार करके अपने सगे भाई की हत्या की है । अब चूंकि इनके परिवार में जिम्मेदार और कोई नहीं है अतः अपने मृतक भाई की अंत्येष्टि का जिम्मा इसी के ऊपर है । इसलिए इसे हम लोग साथ में गिरफ्तार करके हथकड़ी डालकर लाए हैं और बाद पोस्टमार्टम के लाश प्राप्त होने पर इससे इसके भाई जिसकी इसने इस कुल्हाड़ी से हत्या की है , की अंत्येष्टि , क्रिया कर्म इसी के हाथों द्वारा करवाया जाएगा ।
यह कैसा रिश्ता था जो जीते जी तो जिंदगी में मरने मारने पर उतारू था और अब मरने के बाद अब उसकी सद्गति की कामना करते हुए कर्मकांड कर निभाया जा रहा था । जीते जी जो अपने भाई की जान का शत्रु हो गया वह अब अपना रिश्ता निभा रहा था । अपने किसी महत्वपूर्ण फैसले में उच्चतम न्यायालय ने भाई भाई के बीच विश्वास के संबंध को महत्व एवम मान्यता दी है और उसका कहना था इस रिश्ते के ना होने पर समाज के ढांचे अस्तित्व ही ढह जाएगा । हो सकता है आवेश में उसके द्वारा किए गए कुल्हाड़ी के वार से उसके भाई की गैर इरादतन हत्या उसके हाथों हो गई हो । बाली के सुग्रीव जैसे भ्राता के समान उस व्यक्ति को मैं वहीं उस पहाड़ी ढलान पर बैठा छोड़ आगे बढ़ गया ।