मरने पर भी दुष्ट व्यक्ति अपयश ही पाते
मरने पर भी दुष्ट व्यक्ति अपयश ही पाते
पाते हैं नर तन यहाँ सज्जन , दुर्जन , संत
विधि का यही विधान है , होता सबका अंत
होता सबका अंत , धाम हरि के सब जाते
वहाँ जानते नाथ , कौन कैसी गति पाते
मगर यहाँ जब संत मरें तो सब पछताते
मरने पर भी दुष्ट व्यक्ति अपयश ही पाते