मरते हैं
लोग वही जन्नत जीते हैं जो सपनों पर मरते हैं।
पर सपनों में जीने वाले फाके कर कर मरते हैं।
मुल्क की खातिर मरने वाले जी जाते हैं मरकर भी,
कामचोर तो मुर्दों जैसा जीवन जीकर मरते हैं।।
संजय नारायण
लोग वही जन्नत जीते हैं जो सपनों पर मरते हैं।
पर सपनों में जीने वाले फाके कर कर मरते हैं।
मुल्क की खातिर मरने वाले जी जाते हैं मरकर भी,
कामचोर तो मुर्दों जैसा जीवन जीकर मरते हैं।।
संजय नारायण