मया के खजाना हावय ग
मया के खजाना
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सबके मुड़ म आज बँधाए,बाना हावय ग।
मोर छत्तीसगढ़ म,मया के खजाना हावय ग।
सुख पाए के डहर जिहा, मनमाना हावय ग।
मोर छत्तीसगढ़ म,मया के खजाना हावय ग।
हरियर हरियर खेत खार अउ,छल छल नदिया नरवा।
गार पसीना बुता करत हे, बेटा रतन दुरलवा।
बासी चटनी चीला अंगाकर, निशदिन अबड़ मिटाथे।
गुरतुर गुरतुर बोली भाखा, मन म हमर समाथे।
ज्ञान धियान बर रंग रंग के, हाना हावय ग।
मोर छत्तीसगढ़ म,मया के खजाना हावय ग।
महल अटारी बड़े बड़े, हमरो रईपुर रजधानी म।
गंगरेल हसदेव बाँध, भरे लबालब पानी म।
छत्तीसगढ़ म अकईसो, माता के महिमा भारी हे।
है तिहार आनी बानी के, जेहर हमर चिन्हारी हे।
आवव जोत सुमत के, अब जलाना हावय ग ।
मोर छत्तीसगढ़ म,मया के खजाना हावय ग।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️