मयंक से मन की बात
मयंक
से मन की बात
घनाक्षरी छंद
सुन्दर सफेद झक्क आप हैं मयंक राज,
निशा सत्तापति कौन,आपसा निशंक है ।
आपके कारण हर तारा पाया है प्रकाश,
धनी है उजाले का,जो खुद रहा रंक है ।
बने खुद साहू नहीं ,फिकर करे हैं काहू ,
पीछे तो पड़ा राहू जो, मेंटे सारे अंक है
जहां देखें वाह वाह, सब कुछ भला पर ,
बीचों बीच कोरोना सा, लगता कलंक है ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश