” ममता का उपहार यही है ” !!
नमन देश को करते हैं ये ,
सैनिक के संस्कार यही है !!
मातृभूमि की रक्षा करना ,
जिनका केवल ध्येय यही है !
आँख मिचौली करे मौत है ,
मरना कोई खौफ नहीं है !
माटी चंदन , धरा बिछौना ,
ममता का उपहार यही है !!
अपना सुख खूंटी पर ताना ,
सीमाओं से मिला निमंत्रण !
सारे बन्धन बाँध न पाये ,
देशभक्ति से है अनुबन्धन !
चौकस नज़रें सदा जमी है ,
दुश्मन का संहार यहीं है !!
संगीनों से रोज़ खेलते ,
सीना चाक करें है अरि का !
श्वेत कपोत यहाँ ना उड़ते ,
यहाँ बहे है रक्त की सरिता !
भैरव , चंडी खप्पर खोले ,
करते बस चीत्कार यहीं है !!
यहाँ नींद ना चैन है दिन को ,
यहाँ मिली है पहरेदारी !
हर पल यहाँ जागरण केवल ,
यहाँ फर्ज से रिश्तेदारी !
अमन चैन बस मिले देश को ,
सीने में झनकार यही है !!
संदेशे सुख के थोड़े हैं ,
पल पल खतरे मंडराते हैं !
मात पिता की याद आए है ,
अपनों के मुखड़े छाते हैं !
बहनों की राखी जब पायें ,
बदली लगे बयार यही है !!
मांगे से छुट्टी ना मिलती ,
रात दिवस सब एक से लगते !
मौसम की परवाह किसे है ,
पल पल को मुट्ठी में रखते !
सेवा का जब कीमत आंके ,
चुभती लगे कटार यही है !!
जान हथेली पर ये लेते ,
नेता निज का गान करे है !
जनता से सम्मान मिले तो ,
यशोगान का भान धरे है !
आन बान है शान तिरंगा ,
जीवन का आधार यही है !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )