मन
कुण्डलिया_छंद
#विषय #मन
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जीते मन के जीत है, हारे मन के हार।
मन ही करता द्वेष है , मन ही करता प्यार।।
मन ही करता प्यार, हार भी मन से होता।
मन जीवन आधार, सभी कुछ मन ही खोता।।
कहे “सचिन” कविराय , मनुज चाहें वह बीते-
बस में मन हो आज, तो हर जंग वह जीते।।
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✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार