Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2024 · 3 min read

मन ही मन घबरा रहा था।

मैं मन ही मन घबरा रहा था

एक दिन अचानक दूर से दिखे रामाकांत भाई
बहुत ताज्जुब हुआ बंगलोर जैसे शहर में जिसने
तीस वर्ष से ज्यादा गंवायी, गांव की याद अचानक उन्हें कैसे आयी!
जब कभी मैं बंगलोर जाता था।
उनके निवास पर कुछ समय जरूर बिताता था
जब भी थोड़ा-बहुत समय मिलता
शहरी और देहाती जिन्दगी पर बहस छिडता
उनकी नजर में जो जितना बड़ा शहर में रहेगा
वह जीवन में उतना बड़ा काम करेगा
गांव में उनको देखकर मैं ने सोचा
पिकनिक मनाने आये होंगे या
बेटा-पुतोह को पुस्तैनी घर दिखलाने लाए होंगे।
नजदीक जाकर देखा तो वो वही थे
शिष्टाचार अपनाया, पैर स्पर्श कर अभिवादन किया,कुशल क्षेम के बाद मैंने पूछ लिया।
भैया आप कब आये,अकेले आये या बाल-बच्चा भी साथ लाये?
ये मेरे शब्द उनके दर्द को शायद कुरेद दिया
तीर की तरह शायद उनके सारे कुंठाओं को छेद दिया
हंसते-मुस्कुराते चेहरे पर अचानक मायुसी छा गयी
आगे कुछ पूछते इसके पहले ही
उचकती हुई उनकी बीमार पत्नी भी आ गयी ।
तब रामाकांत भाई मुझे ‌समझाते हुए बोले
जब देह हाथ ठीक से चलता था
तब बंगलोर-बम्बई में रहता था
जब से नौकरी से अवकाश मिला
तब से जिन्दगी में नया प्रकाश मिला।
तभी टपक पड़ी भाभी जी,बोली सुनो देवर जी
वो क्या बतलायेंगे, मैं बतलाती हूं।
गांव पर आने का असल कारण समझाती हूं।
पहले मैं समझती थी परिवार-समाज नाचीज़ है
अब समझ में आ रहा है समाज क्या चीज़ है।
दो जून की रोटी के लिए जब वहां बेहाल हो गया
बेटा-बहू के रहते बहुत बुरा हाल हो गया
तीन दिन की आयी बहु घर के माहौल को गरमा दी
अच्छी-खासी सुख-शान्ति में नफरत की आग सुलगा दी ।
जब एकलौता बहु-बेटा का मन-मिजाज मलिन हो गया
तब सामंजस्य बैठाना बिल्कुल कठीन हो गया
कई रात तो हम दोनों भूखों ही सो जाते थे
जब बेटा-बहु होटल से ही खाना खाकर आते थे।
मैं उनकी बात सुन-सुन कर व्यथित था
बेटा-बहु ऐसा कर सकता है,सोचकर चकित था।
उनकी बात पुरी हुई नहीं कि रमाकांत भाई बोले
चौथेपन की जीवन रहस्य को हौले-हौले खोले।
ऐसे तो लोग कहते हैं अपना हारा हुआ
और मेहर का मार खाया हुआ
कोई किसी को नहीं बताता है
लेकिन तू तो मेरा अजीज रहे हो
मेरी जीवन शैली को बहुत नजदीक से परखे हो
इसलिए दिल खोल बतलाता हूं।
बात तो बेशक शर्म की है फिर भी तुझे बताता हूं।
अपनी सारी इच्छाओं को मारकर
बेटा की सारी इच्छाएं पूरा किया
निबह जाये किसी तरह इसके लिए
क्या कुछ नहीं किया।
सुबह मोरनिग वाक पर जाता था
चार किलोमीटर पैदल घुमकर जब
घर वापस आता था
बेटा-पुतोह को कमरे में सोया हुआ पाता था।
फिर किचेन में जाकर लाइटर से गैस जलाता था
चाय बनाकर रोग शैय्या पर पड़े तुम्हारी इस भाभी को चाय बिस्कुट खिलाता था
फिर भी चुप चाप रह जाता था।
तब लेट-लतीफ बेटा-बहु उठता
सारे शर्म हया को छोड़कर मुझसे कभी कभार बोलता
क्या कहूं बाबूजी नींद सबेरे नहीं टुटती है
औफिस का काम करते करते
वह भी बहुत देर तक जागती है
इसलिए लेट से उठती है।
पेमेंट कर दीजिएगा,रेस्टुरेंट से लंच मंगवा दूंगा
मैं उसके साथ औफिस में ही खा लूंगा।
जब मामला हद से पार होने लगी
रोगशैया पर पड़ी पत्नी उनके व्यवहार से
एक दिन बिफर बिफर कर रोने लगी ।
समझ लो,बाहर फतह हासिल करनेवाला
घर में हार जाता है।
लहरें जब अपने पर उतर जाये तो
समंदर भी हार जाता‌ है।
तो सोचा इससे ज्यादा अच्छा तो गांव है
जहां आम,पीपल बरगद का सुन्दर सलोना छांव है।
शुद्ध हवा, स्वच्छ वातावरण मिल जायेगा
वहां तो बेटा बहू दो थे
यहां तो भैया-भाभी, चाचा-चाची, भतीजी-भतीजा मिल जायेगा।
तब सोचा चलो गांव की ओर चलते हैं
शहर के चकाचौंध से अलग निवास करते हैं
मन -ही- मन सोचा यही भाव पहले आ जाता
बेटा बहू भी उनके साथ ऐसा नहीं कर पाता।
मैंने कहा -भैया अब आप सही जगह पर आ गये हैं
सुबह में भटके थे शाम में घर आ गये हैं।
उनको तो सहानुभूति का मलहम लगा रहा था
का गति होई हमारी
सोच-सोचकर मन-ही-मन घबरा रहा था।

92 Views
Books from manorath maharaj
View all

You may also like these posts

Sometimes, things happen that are out of our control, and pe
Sometimes, things happen that are out of our control, and pe
पूर्वार्थ
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
ज़मीर मर गया सब का..और आत्मा सो गयी .....
shabina. Naaz
"" *मन तो मन है* ""
सुनीलानंद महंत
पेंसिल बॉक्स
पेंसिल बॉक्स
Indu Nandal
हम सभी को लिखना और पढ़ना हैं।
हम सभी को लिखना और पढ़ना हैं।
Neeraj Agarwal
यूं बातें भी ज़रा सी क्या बिगड़ गई,
यूं बातें भी ज़रा सी क्या बिगड़ गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चुनौतियाँ
चुनौतियाँ
dr rajmati Surana
भारत भविष्य
भारत भविष्य
उमा झा
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ . . . !
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सफ़र ख़ामोशी का
सफ़र ख़ामोशी का
हिमांशु Kulshrestha
नैन सोम रस ग्लास
नैन सोम रस ग्लास
RAMESH SHARMA
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Neerja Sharma
- ख्याली पुलाव -
- ख्याली पुलाव -
bharat gehlot
*जिंदगी*
*जिंदगी*
Harminder Kaur
तुम्हारी याद आती है मुझे दिन रात आती है
तुम्हारी याद आती है मुझे दिन रात आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
शोख़ दोहे :
शोख़ दोहे :
sushil sarna
आत्महत्या के पहले
आत्महत्या के पहले
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
राजनीतिक फायदे के लिए, तुम मुकदर्शक हो गये तो अनर्थ हो जाएगा
राजनीतिक फायदे के लिए, तुम मुकदर्शक हो गये तो अनर्थ हो जाएगा
नेताम आर सी
दवाखाना  से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
दवाखाना से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
इश्क की अब तलक खुमारी है
इश्क की अब तलक खुमारी है
Dr Archana Gupta
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है!
शेखर सिंह
नया साल
नया साल
'अशांत' शेखर
भारत प्यारा देश हमारा
भारत प्यारा देश हमारा
Jyoti Roshni
प्यार का गीत
प्यार का गीत
Neelam Sharma
*मोती (बाल कविता)*
*मोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मनोकामना
मनोकामना
Mukesh Kumar Sonkar
2911.*पूर्णिका*
2911.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाल कविता: मूंगफली
बाल कविता: मूंगफली
Rajesh Kumar Arjun
भगवत गीता जयंती
भगवत गीता जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पद्मावती छंद
पद्मावती छंद
Subhash Singhai
Loading...